कोलकाता, 2 जुलाई 2021
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को ममता सरकार को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस को हिंसा पीड़ितों की शिकायत दर्ज करने का आदेश दिया है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से चुनाव के बाद हिंसा की चपेट में आए पीड़ितों को उचित चिकित्सा सहायता और राशन सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है। साथ ही मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को भी हिंसा से संबंधित सभी दस्तावेजों को संयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में हुए मतदान के बाद 2 मई, 2021 को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। इसके बाद ही प्रदेश के कई इलाकों से हिंसा की खबरें सामने आने लगी थीं। अब यह मामला कोर्ट में है। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा, ‘रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद प्रथम दृष्टया में याचिकाकर्ताओं द्वारा लिए गए स्टैंड से स्पष्ट होता है कि चुनाव के बाद हिंसा हुई थी। इस दौरान हिंसा में कई लोग मारे गए थे। कईयों को यौन उत्पीड़न और गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि नाबालिग बच्चियों को भी नहीं बख्शा गया, उनका यौन शोषण किया गया है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि हिंसा की वजह से कई लोगों की संपत्ति को नुकसान हुआ और अपना घर छोड़कर पड़ोसी राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा। कोर्ट ने कहा कि अब राज्य में ऐसा माहौल नहीं बना है जिससे पीड़ितों की घर वापसी हो सके या अपना व्यवसाय शुरू करने का आत्मविश्वास ला सके। इनमें से ज्यादातर पीड़ितों की शिकायतों को पुलिस द्वारा दर्ज नहीं किया गया है। आपको बता दें कि 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के पीछे एसआईटी जांच की मांग करने वाली याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार, केंद्र और भारत के चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। शुक्रवार को मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार की जांच को 13 जुलाई को बढ़ाया गया है। अब मामले में अगली सुनवाई भी 13 जुलाई को होगी।