उत्तरप्रदेश, 24 जुलाई 2021
लार्ड विश्वेशरनाथ (बाबा विश्वनाथ) के वादमित्र विजयशंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी परिसर स्थित एक भूखंड की सुन्नी वक्फ बोर्ड और मंदिर प्रशासन के बीच अदला-बदली को असंवैधानिक करार दिया है। शनिवार को उन्होंने कहा कि जमीन के मालिकाना हक का मामला अभी कोर्ट में लंबित है। ऐसे में उसकी अदला-बदली कैसे हो सकती है? वाद मित्र इस निर्णय के खिलाफ कोर्ट जाएंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रशासन ने किस आधार पर जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड का बता दिया?
विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वरनाथ मंदिर का एक अंश है। वहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन-पूजन, निर्माण, मरम्मत, पुनरोद्धार का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि जिस 1700 स्क्वॉयर फीट जमीन का मालिक वक्फ बोर्ड को बताया गया, उस पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का कभी कब्जा नहीं रहा। उन्होंने बताया कि 1942 में हाईकोर्ट में तीन साल तक चले एक मुकदमे में निर्धारित हो चुका है कि मुस्लिम समाज के लोगों का ज्ञानवापी परिसर की किसी जमीन पर कोई अधिकार नहीं है। मुस्लिम समाज के लोग सिर्फ ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं। उन्होंने सवाल किया कि •प्रशासनिक अफसरों ने सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी का ज्ञानवापी परिसर की जमीन पर मालिकाना हक कैसे मान लिया। साथ ही उन्हें बांसफाटक के पास 1000 स्क्वॉयर फीट जमीन कैसे दे दी।
अफसरों ने गुमराह किया
वादमित्र ने कहा कि प्रशासनिक अफसरों ने काम दिखाने के चक्कर में हिंदुओं और योगी आदित्यनाथ की सरकार को गुमराह किया है। जमीन की अदला-बदली की नकल हमने मंगवाई है। इसके बाद हम अदालत में मुकदमा दाखिल करेंगे।
मुकदमे से जमीन की अदला-बदली का कोई मतलब नहीं : यासीन
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव सईद यासीन ने कहा कि काशी विश्वनाथ के संबंध में अदालत में दाखिल मुकदमे से जमीन की अदला-बदली का कोई मतलब नहीं है। एक अच्छे काम में हमने सहयोग किया है। प्रशासन ने भी हमें उतने ही मूल्य की जमीन सड़क किनारे दी है। हम चाहते हैं कि बनारस इसी तरह से सदैव गंगा-जमुनी तहजीब का मिसाल बना रहे और देश-दुनिया के लोगों को यहां से हमेशा अच्छी सीख मिले। उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी परिसर में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ का अधिकार देने की मांग के साथ वर्ष- 2019 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया था। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ की ओर से दायर यह मुकदमा अभी विचाराधीन है। कुछ दिन पहले फॉस्ट ट्रैक कोर्ट ने पूरे ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया है। मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रतिवादी हैं।