नई दिल्ली, 17 मार्च 2021

केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन को ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड’ (टीबी रोको भागीदारी बोर्ड) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। भारत में 2025 तक टीबी (तपेदिक) उन्मूलन के आंदोलन में केन्द्रीय मंत्री के उल्लेखनीय योगदान के फलस्वरूप उन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया है ।डॉ. हर्ष वर्धन कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए पुनर्प्रयोजन (रिपर्पजिंग) और बड़े पैमाने पर तपेदिक के उन्मूलन के लिए कोविड-19 से मिली सीख के उपयोग के प्रखर समर्थक रहे हैं

‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड’ एक अनूठा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसके पास टीबी के खिलाफ जंग में विश्व भर के सभी पक्षों को एक साथ लाने का कार्य है। व्यापक पक्षों की भागीदारी से इस वैश्विक संगठन को तपेदिक को हराने के लिए आवश्यक विश्वसनीयता मिलती है और चिकित्सा, सामाजिक और वित्तीय विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इस भागीदारी की सोच ‘टीबी मुक्त विश्व’ है। इस प्रतिष्ठित वैश्विक संगठन के अध्यक्ष के रूप में डॉ. हर्ष वर्धन की नियुक्ति से तपेदिक के उन्मूलन में भारत की राजनीतिक प्रतिबद्धता की गौरवपूर्ण मान्यता का पता चलता है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जुलाई, 2021 से शुरू हो रहे तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप’ के अध्यक्ष के रूप में कार्य करेंगे।

वर्ष 2000 में स्थापित ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप’ के पास जन-स्वास्थ्य समस्या के रूप में टीबी का उन्मूलन करने का दायित्व है। लंदन में मार्च, 1998 में टीबी महामारी से संबंधित तदर्थ समिति के प्रथम सत्र की बैठक के बाद इस संगठन की परिकल्पना की गई थी। अपने पहले वर्ष में ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप’ ने एम्सटर्डम घोषणा पत्र के माध्यम से तपेदिक के अधिक मामलों वाले 20 देशों के मंत्रिस्तरीय शिष्टमंडल के विचार-विमर्श से सहयोगपूर्ण आह्वान किया। इस संगठन के 1500 भागीदार संगठन हैं, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय, गैर-सरकारी और सरकारी संगठन तथा रोगी समूह शामिल हैं। इसका सचिवालय स्विटजरलैंड के जेनेवा में स्थित है।

भारत, वैश्विक स्तर पर 2030 के लक्ष्य से पांच वर्ष पहले 2025 तक देश से तपेदिक के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। भारत सरकार की टीबी उन्मूलन की 2017 से 2025 की सामरिक योजना में ऐसा महत्वाकांक्षी एजेंडा और लक्ष्य हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के विश्व में से टीबी समाप्त करने की नीति द्वारा तय आकांक्षी लक्ष्यों से बेहतर हैं। इससे संगठन के सदस्य आकर्षित हुए हैं, जो भारत में राष्ट्रीय सामरिक योजना के माध्यम से इस रोग के उन्मूलन के कार्यान्वयन से संबंधित चिकित्सा में उन्नति और प्रक्रियाओं से सीखने और लाभ उठाने के इच्छुक हैं।

लगभग 97 प्रतिशत रिकवरी दर और 2 प्रतिशत से कम मृत्यु दर के साथ भारत उन कुछ देशों में से एक है, जिसने सफलतापूर्वक कोविड-19 पर काबू पाया है। इस महामारी ने भारत में वायुजनित संचारी रोगों पर एक बार फिर फोकस किया है और अब जन-स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अधिक निवेश को प्राथमिकता दी जा रही है।

कोविड महामारी के प्रति कार्रवाई के उपाय के अंतर्गत बड़ी संख्या में विशेष संक्रामक रोग अस्पताल बनाए गए हैं। इन अस्पतालों की सुविधाओं और विशेषज्ञता से तपेदिक रोगियों की देखभाल और प्रबंधन का कार्य अधिक व्यवस्थित तथा परिणामजनक बनेगा l