नई दिल्ली, 5 फरवरी 2021

किसान आंदोलन (Farmers Protest) के बीच सामने आई पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) की तरफ से पोस्ट की गई टूलकिट ने हड़कंप मचा दिया है. खबर है कि इस टूलकिट (Toolkit) को कनाडा के पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) ने तैयार किया है. इसी बीच शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने संस्था को लेकर बड़ा दावा किया है. पुलिस का कहना है कि किसान आंदोलन की आड़ में संस्था का संस्थापक एमओ धालीवाल (MO Dhaliwal) भारत में खालिस्तानी आंदोलन (Khalistani movement) को बढ़ावा देना चाहता है.

अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को पुलिस अधिकारी ने बताया कि हाल ही में मिले एक वीडियो में धालीवाल किसानों के प्रदर्शन और अलगाववादी खालिस्तानी आंदोलन का समर्थन कर रहा है. हालांकि, इस वीडियो की कोई पुष्टि नहीं हो सकी है. वहीं, टूलकिट के संबंध में दिल्ली पुलिस ने साजिश और राजद्रोह का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया है. हालांकि, इस मामले में पुलिस ने किसी का नाम अभी शामिल नहीं किया है.

इस वीडियो में क्या है
कहा जा रहा है कि यह वीडियो भारतीय वाणिज्य दूतावास के बाहर शूट किया गया था. हालांकि, इस वीडियो की पुष्टि न्यूज18 नहीं करता है. इस वीडियो में धालीवाल कहता हुआ नजर आ रहा है, ‘अगर कल कृषि कानून वापस ले लिए जाते हैं, तो यह जीत नहीं है. जंग कानून वापसी के साथ शुरू होगी, यह यहां खत्म नहीं होगी. किसी को आपको यह मत कहने दो कि जारी जंग कानून वापसी के साथ खत्म हो जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि वे इस आंदोलन की ऊर्जा को खत्म करना चाहते हैं. वे आपसे यह कहना चाहते हैं कि आप पंजाब से अलग हैं और खालिस्तानी आंदोलन से अलग हैं. आप नहीं हैं.’

अधिकारी ने बताया कि टूलकिट को इसके बैकग्राउंड और इसे बनाने वालों की प्रेरणा के संदर्भ में देखा जाना था. इस वीडियो से समूह के मकसद की समझ मिलती है कि वे सोशल मीडिया पर भारत सरकार के खिलाफ एक आम राय बनाने की कोशिश कर रहे हैं. किसान आंदोलन उनके लिए अलगाववादी एजेंडा को चलाने के लिए महज एक बहाना है.

दरअसल, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनवर्ग ने बुधवार को एक ट्वीट किया था. इस ट्वीट में उन्होंने एक टूलकिट को शामिल किया था. इस टूलकिट में किसान आंदोलन से जुड़े ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रदर्शनों को लेकर एक एक्शन प्लान था. पहले डॉक्यूमेंट में ट्वीट्स के लिए लिंक शामिल था, जिसका इस्तेमाल लोग सोशल मीडिया पर कर सकते थे.

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, इनमें से ज्यादातर 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के जश्न से जुड़े थे. इनमें कहा जा रहा था कि समूह इस दिन प्रदर्शन करेगा. हालांकि, थनबर्ग ने बाद में इस डॉक्यूमेंट को डिलीट कर दिया था और बाद में इसे दोबारा अलग वर्जन के साथ पोस्ट किया था.