महाराष्ट्र, 26 फरवरी 2021
महाराष्ट्र के यवतमाल में वर्ष 2018 में कथित आदमखोर बाघिन अवनी (Avni) को मारने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई करने से इंकार करते हुए कहा कि बाघिन को मारे जाने का कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत ही उठाया गया था.
देश के प्रधान न्यायाधीश यानी CJI एस.ए. बोबड़े ने कहा कि मामले को फिर से खोलना नहीं चाहते, क्योंकि बाघिन को मारने की इजाज़त सुप्रीम कोर्ट से ली गई थी, और बाघिन के मरने का जश्न मनाने में अधिकारी शामिल नहीं थे, बल्कि सिर्फ गांववासियों ने जश्न मनाया था.
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने हलफनामे में बताया कि बाघिन को मारने की इजाज़त सुप्रीम कोर्ट से ली गई थी, और इसके अलावा बाघिन के मरने के बाद गांववासियों ने जश्न भी मनाया था. कोर्ट ने कहा कि इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है और न अफसरों ने जश्न मनाया था, इसलिए हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते.
इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका को वापस ले लिया है, और सुनवाई बंद हो गई है. याचिकाकर्ता संगीता डोगरा ने कहा था कि जश्न में न्योता अफसरों को भी दिया गया था, और उन्होंने इसका विरोध नहीं किया था.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के वन विभाग के प्रमुख सचिव विकास खरगे समेत 9 अफसरों को अवमानना नोटिस जारी किया था.
वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बाघिन को पहले बेहोश कर रेस्क्यू सेंटर ले जाने की कोशिश हो, लेकिन अगर मारने के अलावा कोई विकल्प न हो, तो जान के नुकसान को बचाने के लिए उसे मार दिया जाए, लेकिन मारने वाले को कोई पुरस्कार न दिया जाए. CJI एस.ए. बोबड़े ने कहा कि बाघिन को मारने पर पुरस्कार देने के लिए नोटिस जारी कर रहे हैं.