मुंबई, 25 फरवरी 2021
महाराष्ट्र की सत्ता संभाल रही शिवसेना लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। गुरुवार को शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में केंद्र सरकार पर चाइना के साथ व्यापारिक संबंध को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। शिवसेना ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र चीनी कंपनियों के लिए रेड कार्पेट बिछा रही है लेकिन उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि चीन एक गैर भरोसेमंद और अविश्वसनीय’ पड़ोसी है।
चीनी कंपनियों और उनके निवेश के विरुद्ध मोदी सरकार का सख्त रुख ढीला पड़ रहा
गुरुवार को सामना में अपने संपादकीय में शिवसेना ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए लिखा लद्दाख सीमा पर गतिरोध के चीनी उत्पाद का बहिष्कार होता हैऔर कुछ चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। वहीं पिछले हफ्ते भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम हुआ। जिसके बाद अब दोनों पड़ोसी देशों के बीच कोरोबारी संबंध बहाल होते दिख रहे हैं।। शिवसेना ने ये भी संभावना जताई कि इसे देखकर लगता है कि 45 चीनी कंपनियों को भारत में काम करने की मंजूरी दी जाएगी। इतना ही नहीं शिवसेना ने तंज कसा कि कुल मिलाकर ऐसा लग रहा है कि कोविड-19 महामारी के बाद चीनी कंपनियों और उनके निवेश के विरुद्ध मोदी सरकार का सख्त रुख ढीला पड़ रहा है।
चीन सबसे अधिक ” गैर भरोसेमंद एवं अविश्वसनीय’ पड़ोसी है
सामना के संपादकीय में शिवसेना ने केंद्र को चेताया कि चीन सबसे अधिक ” गैर भरोसेमंद एवं अविश्वसनीय’ पड़ोसी है। करोबार के चलते उसने अभी नरमी बरती है लेकिन उसका भारत से व्यापारिक स्वार्थ सिद्ध होते ही दोबारा सीमा पर समस्या उत्पन्न करने वाली कार्रवाई कर सकता है। भारत ने टिकटॉक समेत अन्य कई एप्स पर प्रतिबंध लगाया, कई बिजनेस डील कैंसिल की और ‘आत्मनिर्भर भारत’ और राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया था।
शिवसेना ने सामना में लिखा- “मोदी सरकार ने दावा किया था कि थी कि कैसे वह चीन को रोकेगी….लेकिन वास्तव में आठ महीने में क्या हुआ, वह यह है कि 45 चीनी कंपनियों के लिए लाल कालीन बिछाई गई है। ‘सामना में शिवसेना ने लिखा मंत्रालय के आंकड़ों से स्पष्ठ हो चुका है कि चीनी उत्पादों, ऐप को प्रतिबंधित कर एवं स्वदेशी का आह्वान कर राष्ट्रवाद की जिस हवा से बड़े गुब्बारे को भरा गया था वह फूट गया है।”
शिवसेना ने उठाया ये सवाल
शिवसेना ने आगे लिखा दूसरे देशों के साथ परिस्थितियों के हिसाब से राजनीतिक एवं कूटनीतिक संबंध बदल रहे हैं। इसके अलावा सामना में शिवसेना ने सवाल किया कि ‘क्या यह संयोग है कि केंद्र ने सीमा पर तनाव कम होने के बाद चीन के साथ कारोबार पर भी रुख नरम कर दिया है?’ संपादकीय में ये भी तंज कसा कि पिछले आठ महीने से लद्दाख सीमा पर चीनी सेना के साथ सीमा संघर्ष गंभीर हो गया था,गालवाल घाटी पर हमारे देश के सैनिकों के साथ चीनी सेना की खूनी झड़प हुई वहीं अब पिछले सप्ताह भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते पर राजी हुए , लेकिन जल्द ही सामने आया कि दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध पर से बर्फ पिघलने लगी है।