मुंबई, 24 फरवरी 2021
अब शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद अब बीजेपी की नजर महाराष्ट्र पर है मगर बीजेपी का ये ख्वाब कभी पूरा नहीं होने वाला है। सामना में शिवसेना का डर साफ दिख रहा है और सामना के संपादकीय में ‘ऑपरेशन लोटस’ महाराष्ट्र में भी चलने की आशंका जताई गई है। इसके अलावा राज्यपाल को लेकर भी शिवसेना ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया है।
‘महाराष्ट्र में भी ऑपरेशन लोटस’
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना में बीजेपी और केन्द्र की मोदी सरकार पर जमकर तंज कसा है। सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि ‘पुडुचेरी में उप-राज्यपाल पर तैनात रहीं किरण बेदी ने नारायणसामी सरकार को काम नहीं करने दिया। कांग्रेस के हाथ से एक छोटा राज्य भी बीजेपी ने खींच लिया है और अब बीजेपी कुछ महीनों में महाराष्ट्र में ऑरेशन लोटस की शुरूआत करेगी’। शिवसेवा के मुखपत्र सामना में लिखा गया है कि मार्च या अप्रैल के बाद महाराष्ट्र में भी बीजेपी ऑपरेशन लोटस की शुरूआत करेगी मगर महाराष्ट्र में सरकार गिराने का बीजेपी का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
सामना में शिवसेना की तरफ से कहा गया है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद भी ‘अगला वार महाराष्ट्र पर’ की घोषणा की गई थी। लेकिन कोशिश कामयाब नहीं हो पाई। उसके बाद ‘बिहार में परिणाम आने दो फिर महाराष्ट्र में परिवर्तन लाएंगे’ की बात की गई और अब पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद फिर से महाराष्ट्र को लेकर बात की जा रही है। लेकिन, जैसे दिल्ली दूर है, वैसे ही बीजेपी के लिए महाराष्ट्र बहुत ही दूर है। शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाए हैं कि ‘विधायकों को तोड़ने के लिए सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल किया गया, ऐसा आरोप कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने लगाया है। ऐसे में पुडुचेरी में सरकार गिरने के बाद महाराष्ट्र में भी ये सब हो सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
कढ़ी पत्ते की तरह राज्यपाल का इस्तेमाल
सामना के संपादकीय के जरिए शिवसेना ने बीजेपी को महाराष्ट्र से दूर रहने की चेतावनी दी है। सामने के संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में शिवसेना है इसीलिए बीजेपी अनावश्यक तोड़-फोड़ की कोशिश ना करे और पुडुचेरी में सरकार गिराने के लिए जो भागदौड़ की गई है वो पहले ही महाराष्ट्र में किया जा चुका है। इसके साथ ही राज्यपाल पर निशाना साधते हुए सामने ने लिखा है कि राज्यपालों का कढ़ी-पत्ते की तरफ इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्यपाल चाहें महाराष्ट्र के हों या फिर पुडुचेरी के, उन्हें नई दिल्ली का आदेश मानते हुए ही उठा-पटक करनी पड़ती है। राज्यपालों का इस्तेमाल खाने की थाली में कढ़ी पत्ते की तरह किया जा रहा है। किरण बेदी को भी कढ़ी पत्ते की तरह इस्तेमाल कर थाली से फेंक दिया गया ऐसे में महाराष्ट्र के राज्यपाल को ये बात याद रखनी चाहिए।
इसके साथ ही सामने में कड़े शब्दों में बीजेपी की आलोचना की गई है। सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि पुडुचेरी में पांच कांग्रेस के एमएलए पिछले साढ़े चार सालों से कांग्रेस में थे मगर अचानक सभी कमल के आगे नाचने लगे। पुडुचेरी में चार महीने बाद ही चुनाव होने हैं, ऐसे में केन्द्र की सरकार को कम से कम चार महीने तो रूकना चाहिए था।
सामना में लिखा गया है कि एक वक्त दक्षिण भारत में कांग्रेस का वर्चस्व हूआ करता था मगर अब पुडुचेरी जैसा छोटा राज्य भी कांग्रेस के हाथ में नहीं है। पूरे हिंदुस्तान में अब सिर्फ पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। झारखंड और महाराष्ट्र की सरकार में कांग्रेस शामिल है और झारखंड में मुख्यमंत्री के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसी लग गई है और अब झारखंड को भी अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। यह माहौल लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। नीति और विचारधार को किनारे रख सरकारों को गिराने की जो राजनीति हो रही है वो लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक है