पटना, 26 फरवरी 2021

बिहार में शराबबंदी को लेकर सियासी बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है। वहीं सीतामढ़ी में शराब तस्करों द्वारा पुलिस टीम पर हमले के बाद से विपक्ष सरकार पर और हमलावर हो गई है। इसी बीच राजद के एमएलसी सुनील कुमार सिंह ने शराबंबदी को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के सरकारी आवास 1 अणे मार्ग के बाहर अब शराब की डिलीवरी होती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अगर पुलिस ईमानदारी से जांच करना चाहे तभी असलियत सामने आएगी, लेकिन न तो पुलिस और न ही सरकार शराबबंदी को लेकर तत्पर है।

कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस के एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने सीतामढ़ी कांड की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और साथ ही सीएम नीतीश कुमार से पूरे मामले में सदन में जवाब देने को कहा है। उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी की घटना से साफ जाहिर होता है कि शराब माफियाओं का प्रदेश में कितना मनोबल बढ़ा हुआ है जब पुलिस वाले खुद सुरक्षित नहीं हैं तो भला आम लोगों की हिफाजत कौन करेगा। सीएम नीतीश कुमार चूंकि सूबे के गृह मंत्री भी हैं जाहिर है उन्हें सदन में यह स्पष्ट करना चाहिए कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर की समस्या इतनी क्यों खराब हो रही है।

इससे पूर्व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने सीतामढ़ी जिले दारोगा की हत्या की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह से भगवान के भरोस है। यही वजह है कि दारोगा हो या कोई और पुलिसकर्मी, उन्हें सरेआम गोली मार दी जाती है। वहीं तेजस्वी ने सीएम नीतीश कुमार को चिट मिनिस्टर बता दिया और कहा कि नेता तो नीतीश कुमार कभी हुए ही नहीं।

वहीं सत्तारूढ़ दल में शामिल भाजपा के एमएलसी ने शराबबंदी पर बयान देकर नीतीश सरकार को मुश्किल में खड़ा कर दिया है। भाजपा एमएलसी संजय पासवान ने कहा कि नीतीश सरकार को शराबबंदी पर फिर से विचार करना चाहिए। क्योंकि जिस तरह से पुलिस के जवान पर हमला हुआ उससे मामला और गंभीर हो गया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि गृह सचिव हमारे मित्र हैं, लेकिन उनसे गृह विभाग नहीं संभल रहा है, जिस तरह से घटनाएं घट रही हैं उन्हें खुद से पद से हट जाना चाहिए।

वहीं भाजपा एमएलसी के बयान पर जदयू के एमएलसी गुलाम गौस ने कहा कि कौन क्या कहता है यह हम नहीं जानते। लेकिन नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर पूरी तरह से गंभीर हैं और इसमें किसी तरह से समझौता नहीं कर सकते हैं। उनका अपना निजी विचार हो सकता है। लेकिन बिहार में मजबूती से शराबबंदी पर काम हो रहा है।