नई दिल्ली, 10जनवरी 2021

मॉडर्ना और फाइजर जैसी वैक्सीनें अगर किसी कंपनी के सहयोग से अगर भारत में बनती हैं तो उनकी कीमत कम होगी. सूत्रों ने कहा है कि भारत में mRNA टेक्नॉलजी के टीकों का उत्पादन करना आसान है. अगर बातचीत सफल रहती है तो भारत में 2-3 महीनों के भीतर ही मॉडर्ना वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा.

देश में अब कोरोना के खिलाफ लड़ाई निर्णायक मोड़ तक पहुंच चुकी है. सरकार ने 16 जनवरी से वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत करने का ऐलान कर दिया है. इसके लिए सभी तैयारियां भी कर ली गई हैं. देश में फिलहाल कोरोना की दो वैक्सीनों के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है. अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही मॉडर्ना की वैक्सीन भी भारत आ सकती है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हालांकि अभी मॉडर्ना की वैक्सीन को भारत में लाने के लिए आईआईएल से बात चल रही है. हालांकि अभी केवल इस बात की संभावना तलाशी जा रही है कि ऐसा हो सकता है या नहीं और चर्चा भी सिर्फ शुरुआती दौर में है.

वैक्सीन की कीमत पर होगा बड़ा असर

मॉडर्ना और फाइजर जैसी वैक्सीनें अगर किसी कंपनी के सहयोग से अगर भारत में बनती हैं तो उनकी कीमत कम होगी. इस मामले में मॉडर्ना एकमात्र कंपनी नहीं है जिसके साथ बातचीत चल रही है, ऐसी अन्य कंपनियां भी हैं. सूत्रों ने कहा है कि भारत में mRNA टेक्नॉलजी के टीकों का उत्पादन करना आसान है. अगर बातचीत सफल रहती है तो भारत में 2-3 महीनों के भीतर ही मॉडर्ना वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा.

हालांकि इस बारे में सूत्रों का कहना है, “वर्तमान समय में, फाइजर और मॉडर्ना को भारत में लाना बहुत ही अव्यवहारिक है. भारत में बीमारी की स्थिति अन्य देशों से बहुत अलग है.” सूत्र ने आगे कहा, “इसमें सीएसआईआर की भूमिका प्रमुख है. हम अन्य कंपनियों से संपर्क नहीं करते हैं. हम इसके (वैक्सीन के) पीछे किसी भी टेक्नॉलजी पर काम करने को तैयार हैं. अगर जरूरत पड़ी तो सीसीएमबी इसके पीछे की साइंस सपोर्ट उपल्ब्ध करवाएगा.”

यूके में मॉडर्ना को मिल चुकी है मंजूरी

ब्रिटेन के नियामक प्राधिकरण ने शुक्रवार को कोविड-19 के तीसरे वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिसे मॉर्डना कंपनी ने विकसित किया है. हालांकि इसे अभी मार्केट में पहुंचने में एक सप्ताह का समय लगेगा. यूके सरकार ने मॉर्डना कंपनी को 70,00,000 डोज के लिए पहले ही ऑर्डर दे रखी है.

जानकारी के मुताबिक 30 हजार से अधिक लोगों पर मॉडर्ना वैक्सीन का परीक्षण किया गया था. इसके परिणाम करीब 95 प्रतिशत सुरक्षित देखे गए हैं. मॉडर्ना की वैक्सीन, फाइजर और बायोएनटेक के टीके की तरह ही काम करती है. इसे -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना होता है.