बेंगलुरु, 2 जून 2021

मरीजों में कोरोना वायरस महामारी की पहचान के लिए वैसे तो कई विकल्प आ गए हैं लेकिन अब एक नई तकनीक से कोविड का पता लगाना की खोज की गई है। अब तक यह बड़ा सवाल था कि क्या ध्वनि और लक्षणों का उपयोग करके कोविड का पता लगाया जा सकता है? इसका जवाब अब ‘हां’ में मिल गया है। बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि ध्वनि विज्ञान और लक्षणों के सहारे मरीजों में लगभग 93 फीसदी सटीकता के साथ कोविड का पता लगाया जा सकता है।

भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक अपने शोध के परिणामों को अब अंतिम मंजूरी के लिए आईसीएमआर को सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने ‘कोसवारा’ प्रोजेक्ट की शुरुआत पिछला साल कोरोना संक्रमण के बीच की थी। इसे कोरोना मरीजों में श्वसन, खांसी और बोलने की ध्वनि के आधार पर संक्रमण की पहचान करने के लिए टूल के तौर पर लॉन्च किया गया था। कोविड महामारी की शुरुआत के बाद मरीजों में ध्वनि विज्ञान के जरिए संक्रमण की करीब 93 फीसदी सटीकता के साथ पहचान करने में बड़ी सफलता मिली है।

वैज्ञानिकों की टीम ने इस बात पर शोध किया कि स्वस्थ व्यक्तियों की श्वसन ध्वनियां किसी कोविड मरीज के सांस लेने की आवाज से कितना भिन्न होती है। इस शोध में 15-80 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 1,699 वॉलंटियर्स ने अपना योगदान दिया, इनमें से 157 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित थे। वैज्ञानिकों ने स्वस्थ्य और संक्रमित वॉलंटियर्स के ध्वनि और लक्षण के नमूने एकत्र किए और उनकी जांच की। आईआईएससी के सहायक प्रोफेसर श्रीराम गणपति ने कहा, ‘लोगों में कोरोना वायरस का पता लगाने में ध्वनि-आधारित मेडिकल विकल्प बेहद उपयोगी है। इससे कोरोना के 93% सटीकता का पता चलता है। हम शोध के परिणामों को आईसीएमआर को सौपने की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं।’