नई दिल्ली, 5 जुलाई 2021
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान पर हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि लिंचिंग करने वाले लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत और उनकी लिंचिंग नाथूराम गोडसे की हिंदुत्ववादी सोच का ही नतीजा है। गौरतलब है कि रविवार को मोहन भागवत ने एक बयान देते हुए कहा कि जो लोग ऐसा सोचते हैं कि मुसलमान इस देश में नहीं रह सकते, वो हिंदू ही नहीं हैं। भागवत के बयान को लेकर अब ओवैसी ने ट्वीट किया है।
‘हिंदुत्व की देन है नफरत’
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि लिंचिंग करने वाले लोग हिंदुत्व विरोधी हैं। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फर्क नहीं पता होगा, लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफरत हिंदुत्व की देन है और इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है।’
‘कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्ववादी सोच’
ओवैसी ने आगे लिखा, ‘अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी खुद केंद्रीय मंत्री करते हैं। अखलाक के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है। आसिफ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है और इस महापंचायत में भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते? कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्ववादी सोच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।’
क्या था मोहन भागवत का बयान?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को यूपी के गाजियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक कार्यक्रम में कहा, ‘भारत में सभी भारतीयों का डीएनए एक ही है। अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां एक भी मुसलमान नहीं रहना चाहिए, वो ऐसा कहने वाला शख्स हिंदू नहीं हो सकता। गाय एक पवित्र पशु है, लेकिन जो लोग लिंचिंग कर रहे हैं वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कानून को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि कई बार लोगों के खिलाफ लिंचिंग के कुछ झूठे मामले भी दर्ज किए गए।’