नई दिल्ली, 11 मई 2021
पिछले साल पहली लहर तक वैज्ञानिकों को लगता था कि कोरोना वायरस पानी की स्प्रे बोतल की तरह बर्ताव करता है। छींक या खांसी के साथ थोड़ी दूर तक उड़ता है और फिर सतह पर बैठ जाता है। लेकिन, अब उन्हें लगता है कि यह डियो की तरह ज्यादा व्यवहार कर रहा है। इस कोने में मारा और पूरे रूम में फैल गई। लेकिन, क्या इसका मतलब ये है कि उंची इमारतों में जिसमें ब्लॉक में अपार्टमेंट बने होते हैं, वहां अगर किसी घर में मरीज है तो पास के अपार्टमेंट वाले भी जोखिम में हैं। अबतक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है, जिसमें वायरस का बालकनी या पास के दरवाजों और खिड़कियों से संक्रमण होने की बात पता चली हो। लेकिन, आपको अपनी फ्लैट की टॉयलेट को लेकर जरूर सतर्क रहना चाहिए।
टॉयलेट में फ्लश करने से बाथरूम में फैलता है कोरोना
टॉयलेट से कोविड के संक्रमण के जोखिम की बात पहले ही सामने आ चुकी है। लेकिन, इसके मुताबिक यह उसे ही हो सकता है, जिसने कोविड मरीज के इस्तेमाल के बाद उसी टॉयलेट का इस्तेमाल किया हो। क्योंकि, फ्लश के साथ वायरस के एयरोसोल में मिलकर कई फीट तक हवा में तैरने की बात कही जाती है। यह कहीं भी हो सकता है। दफ्तर में, रेस्टोरेंट में या फिर घर पर भी। कोविड मरीजों में डायरिया सामान्य लक्षणों में से एक है। मरीजों के मल में जिंदा कोरोना वायरस रह सकता है और फ्लश करने के साथ ही वह ऊपर उठकर हवा में मिल जाता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जोसेफ जी एलेन ने वॉशिगटन पोस्ट के लिए एक आर्टिकल में लिखा है, एक अनुमान के मुताबिक फ्लश करने के दौरान ‘हवा के प्रति क्यूबिक मीटर में 10 लाख अतिरिक्त कण (सभी वायरस नहीं होते) ऊपर उछलते हैं।’ इसलिए कोविड मरीजों के शौचालय को किसी दूसरे के लिए इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है।
हांगकांग के अपार्टमेंट कॉम्पलेक्स में क्या हुआ था ?
2003 में हांगकांग की 50 मंजिला अमॉय गार्डन्स कॉम्पलेक्स में 342 लोग एसएआरएस महामारी से बीमार हो गए थे और 42 लोगों की मौत हो गई थी। एसएआरएस महामारी भी कोविड के परिवार के ही वायरस की वजह से फैली थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि उस अपार्टमेंट की पाइप सिस्टम की वजह से ही वहां महामारी फैली थी। दरअसल, हुआ ये था कि 14 मार्च, 2003 को उस अपार्टमेंट की ‘ई’ बिल्डिंग के बीच वाले फ्लोर में एसएआरएस से संक्रमित एक मरीज पहुंचा था। उसे डायरिया हो गया था तो उसने टॉयलेट का इस्तेमाल किया। पांच दिन बाद 19 मार्च को वह फिर उसी अपार्टमेंट में गया और शौचालय का इस्तेमाल किया। कुछ ही दिन बाद उस बिल्डिंग में एसएआरएस का विस्फोट हुआ। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन के मुताबिक शुरुआती 187 मरीजों में से 99 ‘ई’ बिल्डिंग के ही थे। लेकिन, हैरानी की बात तब सामने आई जब पता चला कि ज्यादातर मामले उस मरीज के फ्लैट के ऊपर के मंजिलों पर हैं। सबसे बड़ी बात ये थी कि बिल्डिंग मैनेजमेंट और सिक्योरिटी स्टाफ जो 24 घंटे वहीं तैनात रहते थे, उनमें से कोई संक्रमित नहीं हुआ था, क्योंकि वह ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे।
ड्रेनिंग सिस्टम से कोविड फैलने का मामला
चीन में ऊंची अपार्टमेंट में ड्रेनिंग सिस्टम की वजह से कोरोना फैलने की बात भी सामने आ चुकी है। साइंस मैगजीन के जॉसलिन कैसर ने चीन के गुआंग्झू शहर की एक हाईराइज का हवाला दिया है। इसके 15वीं मंजिल पर रहने वाले परिवार के 5 लोग वुहान गए थे और वहां से कोरोना पीड़ित होकर लौटे। कुछ दिनों के बाद 25वीं और 27वीं मंजिल पर रहने वाले दो जोड़ों को भी कोविड हो गया। यह दोनों अपार्टमेंट 15वीं फ्लोर वाले अपार्टमेंट के ठीक ऊपर थे। क्या ड्रेनेज पाइप से भी कोरोना फैल सकता है, इसकी पड़ताल के लिए चीन के वैज्ञानिकों ने 15वीं मंजिल वाली अपार्टमेंट के ड्रेनपाइप में एक ट्रेसर गैस छोड़ी (ऐसी गैस जो आमतौर पर घरों में नहीं होती) और पाया कि वह 25वीं और 27वीं मंजिल के उन्हीं दोनों अपार्टमेंट के टॉयलेट में पहुंच गई, जहां चार लोग संक्रमित हुए थे।
ड्रेनेज सिस्टम सूखने से बढ़ जाता है जोखिम
दरअसल, ड्रेनिंग पाइप यू-आकार में मुड़ा होता है, जिसमें पानी जमा रहता है, जिससे सीवेज गैस हमारे घरों में नहीं आ पाता। जब यह और ड्रेनेज सिस्टम में इसके लिए दिए गए दूसरे सिस्टम सूख जाते हैं तो बाथरूम में सड़े हुए अंडों की तरह की बदबू आने लगती है। 2003 में हांगकांग वाले अपार्टमेंट में कई फ्लोर के ड्रेन भी सूखे हुए थे। ऐसी स्थिति में बदबू और वायरस ऊपर की मंजिलों की ओर बढ़ सकते हैं; और दोनों देशों के अपार्टमेंट में यही हुआ था।
एहतियात बरतने में कोई दिक्कत नहीं है
हालांकि, चीन और हांगकांग के उदाहरण का यह मतलब नहीं है कि भारतीय शहरों और दूसरे देशों में भी अपार्टमेंट में कोविड संक्रमण के लिए बाथरूम के ड्रेनेज पाइप ही मुख्य वजह हैं। सबसे पहले मरीजों के मल से कोरोना वायरस तभी फैलता है जब उसका वायरल लोड बहुत ज्यादा हो। चीन के गुआंग्झू अपार्टमेंट के मामले में एक ही घर में 5 लोग बीमार थे और सब उन्हीं टॉयलेटों का इस्तेमाल कर रहे थे। जाहिर है कि उनके बाथरूम में वायरस की मौजूदगी बहुत ज्यादा मात्रा में थी। भारतीय शहरों के अपार्टमेंट में भी इस स्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस समय बड़ी तादाद में कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में हैं। लैंसेट की एक आर्टिकल में इस बात पर जोर दिया गया है कि ‘जब एक जगह पर ज्यादा इंफेक्टेड लोग रहेंगे तो सिस्टम पर वायरल लोड बहुत ही ज्यादा हो जाएगा।’
टॉयलेट से होने वाले संक्रमण को रोकने के उपाय
अगर आप अपार्टमेंट में रहते हैं तो टॉयलेट के जरिए कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सबसे पहला काम ये करें कि जितने भी ड्रेनेज के रास्ते हैं, सब में पानी डालें। बाथरूम में अगर किसी तरह की बदबू आ रही है तो उसे नजरअंदाज न करें और वो गैस लीक होने का संकेत हो सकता है। जब भी फ्लश करें टॉयलेट के लिड को बंद कर दें। इस तरीके से अगर आपको कोविड है भी तो वायरस सूखी नालियों या खिड़कियों के जरिए पड़ोसियों के घरों तक नहीं पहुंचेगा। टॉटलेट में हवा के आने-जाने के लिए पूरा रास्ता दें या फिर एक्जहास्ट फैन का इस्तेमाल करें। बाथरूप की सतह को हमेशा साफ करते रहें।