नशामुक्ति केंद्र यातना केंद्र बनकर रह गए हैं। पिछले कुछ सालों में हुईं घटनाएं इसकी गवाह हैं। नशामुक्ति केंद्रों में उपचार के नाम पर मरीजों से मारपीट और हैवानियत सामान्य है। अधिकांश नशा उन्मूलन केंद्रों के पास नशा छुड़वाने का कोई ठोस उपचार है ही नहीं। यह केंद्र सिर्फ मुनाफा कमाने भर के लिए चलाए जाते हैं।
जानकारों के अनुसार ज्यादातर नशामुक्ति केंद्र में इलाज कराने गए नशा पीड़ितों से इसीलिए मारपीट होती है, क्योंकि एक तो ये केंद्र सिर्फ पैसा कमाना चाहते हैं और दूसरे, इन्हें मालूम ही नहीं होता है कि नशे की लत से कैसे निपटें? तीमारदारों से इलाज के नाम पर छह महीने के पैसे एक साथ वसूल किए जाते हैं। पैसे आते ही मरीजों से बेरहमी शुरू की जाती है। मरीज सेंटर छोड़कर चला जाता है तो फीस भी वापस नहीं होती और न ही कहीं सुनवाई होती है। शहर के कोने-नुक्कड़ों में खुले अवैध नशामुक्ति केंद्र यही धंधा चला रहे हैं।
2021 में भी एक केंद्र में हुई थी युवक की मौत
पुलिस के अनुसार अक्तूबर-2021 में देहरादून के एक नशामुक्ति केंद्र में इशांत शर्मा निवासी गुजराड़ा को भर्ती कराया गया था। इलाज के लिए आए इस युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। युवक की अचानक तबीयत खराब हुई और अस्पताल में युवक ने दम तोड़ दिया था।
यातनाओं से तंग आकर भागे 43 मरीज
दिसंबर 2018 में देहरादून के एक नशामुक्ति केंद्र में भर्ती 43 से ज्यादा मरीज दरवाजा तोड़कर भाग निकले। नशा केंद्र में मिल रही यातनाओं से तंग आकर ये सभी मरीज भाग गए। राजपुर पुलिस ने इसमें से 12 लोगों को पकड़ने में सफलता हासिल की। उस समय नशामुक्ति केंद्र पर मरीजों को यातना देने का आरोप लगा था।