नई दिल्ली, 2फरवरी 2021
केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि धर्मांतरण या अंतरधार्मिक विवाहों (Religious conversions or interfaith marriages) पर प्रतिबंध के लिए राष्ट्रव्यापी कानून लाने की उसकी कोई योजना नहीं है क्योंकि यह राज्यों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है. बीजेपी शासित राज्यों में इस तरह के कानून लाए जाने के बीच केंद्र सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण आया है.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि धर्मांतरण से संबंधित मुद्दे बुनियादी रूप से राज्य सरकारों के विषय हैं और कानून का उल्लंघन होने पर विधि प्रवर्तन एजेंसियां कार्रवाई करती हैं.
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि संविधान की सातवीं अनुसची के अनुसार, लोक व्यवस्था और पुलिस राज्य के विषय हैं और ऐसे में धर्मांतरण से संबंधित अपराधों को रोकना, मामला दर्ज करना, जांच करना और मुकदमा चलाना बुनियादी रूप से राज्य सरकारों से संबंधित है. उन्होंने कहा कि कानून का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जाती है.
केंद्रीय गृह गृह राज्य मंत्री का यह बयान केरल के पांच कांग्रेस सांसदों के पूछे सवाल के जवाब में आया है, इन सांसदों ने पूछा था कि क्या सरकार को लगता है कि अंतरधार्मिक विवाहों के कारण जबरन धर्मांतरण की घटनाएं आ रही हैं और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या वह किसी कानून को लाने की तैयारी कर रही है.अंतरधार्मिक विवाह को ‘टारगेट’ करके बीजेपी शासित राज्य, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में लाए गए विवादास्पद धर्मांतरण रोधी कानून के मद्देनजर यह सवाल सामने आया था. हरियाणा, असम और कर्नाटक जैसे राज्य भी ऐसा कानून लाने का ऐलान कर चुके हैं. इन राज्यों में भी बीजेपी की सरकार है.उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और मध्य प्रदेश की BJP शासित सरकारों की तरह हरियाणा में भी लव जिहाद (Love Jihad) पर कानून बनाने की तैयारी चल रही है. ड्राफ्ट कमेटी को लव जिहाद पर अन्य राज्यों के कानूनों का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. यूपी और मध्य प्रदेश सरकारों ने लव जिहाद के दोषियों के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान किया है. लव जिहाद पर कानून बनाने के लिए बनी ड्राफ्ट कमेटी में हरियाणा के गृह सचिव टीएल सत्यप्रकाश, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक नवदीप सिंह विर्क और अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक मनचंदा शामिल हैं.